मार्ग निर्देशिका

‘‘गुरुर्ब्रह्मा, ग्रुर्रुविष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परम् ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।’’ मेवाड़-मार्ग-निर्देशिका ऐसा हो हमारा अध्ययन-अध्यापन ऐसे बनें षिक्षक के बजाय गुरु वर्तमान में देष में मैकाले की षिक्षा पद्धति लागू है। इससे पहले भारतीय षिक्षा नीति देष, काल, सापेक्ष थी। मैकाले को जान-बूझकर ऐसी षिक्षा नीति बनाने का मौका अँग्रेजों ने दिया। उसे विदेष से भारत भेजा, कहा गया कि हमें भारतीय षिक्षा पद्धति के खिलाफ एक ऐसी षिक्षा व्यवस्था लागू करनी है, जिससे गरीब व अनपढ़ भारतीय गुलाम बने रह सकें। उनका सम्पूर्ण विकास न होने पाये। काफी खोजबीन व शोध करने के बाद मैकाले ने अपनी एक रिपोर्ट ब्रिटेन भेजी। ब्रिटेन की संसद में इसे पढ़ा गया। रिपोर्ट में मैकाले ने बताया कि भारत में अपनी षिक्षा पद्धति लागू करना बहुत कठिन है। यहाँ की षिक्षा पद्धति को समूल रूप से नष्ट करने में ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा। रिपोर्ट में मैकाले ने बताया कि भारत के इक्यानवे प्रतिषत लोग पहले से ही षिक्षित हैं। नब्बे प्रतिषत क्षेत्र में षिक्षालय बने हुए हैं। ऐसे में ब्रिटेन की षिक्षा पद्धति लागू करना बहुत मुष्किल होगा। लेकिन अँग्रेजों ने मैकाले को अँग्रेजी षिक्षा पद्धति लागू करने के लिए हर संभव प्रयास करने के निर्देष जारी किये। मैकाले ने पहले अपनी कुचालों से भारत के धर्म, संस्कृति, जीवन मूल्यों समेत भारत की मानक प्राचीन षिक्षा पद्धति को जड़ से उखाड़ फेंकने की साजिष रची। फिर ऐसी ब्रिटिष षिक्षा नीति को लागू किया, जिसके जरिये हमें असभ्य साबित किया गया। यह जताया गया कि विष्वस्तर पर हमारी षिक्षा पद्धति अयोग्य है, पिछड़ी हुई है। इसके जरिये औद्योगिक रूप से हम विकास नहीं कर सकते। मैकाले ने अपनी षिक्षा पद्धति को विकासपरक षिक्षा व्यवस्था करार देकर भारत में इसे लागू कराया।

मार्ग निर्देशिका