‘‘लालसाहीन विचार, अलिप्तता, इच्छा विहीनता मनुष्य
को शान्ति, स्पष्टता, तीक्ष्ण बुद्धि, विवेकपूर्णता, खुषी
और आनंद की तरफ ले जाते हैं। किसी व्यक्ति या वस्तु
के लिए पसंद या नापसंद की इच्छा जब आप छोड़ देते
हैं, आप उनसे अलिप्त होकर परस्पर बातचीत कर
सकते हैं। आप किसी भी पसंद या नापसन्द के प्रति
तटस्थ हो सकते हैं। आपकी इच्छाएँ कम होने लगेंगी
और क्रोध की जगह शांति और प्रेम आ जाएगा।
लालसा को त्यागंे और खुषी की ओर चलें।’’
-डॉ. अशोक कुमार गदिया