व्यस्त रखो पर अस्त-व्यस्त न रखो

व्यस्त रखो पर अस्त-व्यस्त न रखो

व्यस्त रखो पर अस्त-व्यस्त न रखो
व्यस्त रखो पर अस्त-व्यस्त न रखो

अपने आपको जितना खुला एवं खाली शारीरिक एवं मानसिक रूप से रख सकते हो, रखने का प्रयास करो। तभी कुछ नये विचार एवं नवीनतम विधाएँ अपने मन एवं दिमाग में आएंगी। अपने आपको व्यस्त रखो पर अस्त-व्यस्त न रखो। सब काम एक साथ न करो। एक-एक कर सबको अन्जाम पर पहुँचाओ, दूसरे कामों को खराब न होने दो पर थोड़ा उनको पेन्डिंग न रखो। स्वयं काम करने का असली रहस्य इस बात को जानने में है कि क्या नहीं करना चाहिए। जिस काम को करने की आवश्यकता ही नहीं उसे पूरी क्षमता से करने से ज़्यादा निरर्थक कुछ भी नहीं है। - डाॅ. अशोक कुमार गदिया, चेयरमैन, मेवाड़ यूनिवर्सिटी