My thoughts - Modern day religion in each period of every Society, Country, Ethnic group. There is one era religion.
My thoughts - Modern day religion in each period of every Society, Country, Ethnic group. There is one era religion.
मेरे विचार
आज का युग धर्म
हर कालखण्ड में
हर समाज, देश, जातिसमूह का
एक युग धर्म होता है।
उसे
उसी युग धर्म के अनुसार चलना होता है।
जो समाज, देश, जातिसमूह
अपने युग धर्म पर चलते हैं]
वे प्रगति करते हंै
और परम वैभव पर पहुँचते हंै।
जो उसपर नहीं चल पाते]
वे या तो पिछड़ जाते हैं
या समाप्त हो जाते हंै।
आओ आज का युग धर्म जानें
और, उस पर चलना सीखें।
समाज में मिल-जुलकर रहना,
एक दूसरे की भावना को समझना,
और, उनका आदर करना सीखें।
सह अस्तित्व, सामाजिक,
आर्थिक एवं मानसिक विकास के समान अवसर
सभी को बिना भेदभाव देना सीखें।
नयी तकनीक, नये नियम-कानून,
नये रीति रिवाज, नये पहनावे,
नये खान-पान का स्वागत कर,
उन्हें अपनी प्रकृति एवं आवश्यकता के अनुसार
अपनाना सीखें।
युवा पीढ़ी की अपेक्षा,
आकांक्षा एवं भावना को समझते हुए
उनका मार्गदर्शन करें
और, उनके साथ चलना सीखें।
यह समझंे कि
नारी आत्मनिर्भर बनकर
सम्मान से जीना चाहती है,
पर वह पुरातन परम्पराओं,
रीति रिवाजों एवं आदर्शांे-
को भी नहीं छोड़ना चाहती।
वह दोराहे पर खड़ी है।
एक क्षण वह घोषणा करती है कि
मुझे कोई सहारा, दया एवं सहयोग नहीं चाहिये,
वह सबकुछ अपने बलबूते करना चाहती है।
दूसरे क्षण, उसमें
पुरुष समाज से
वर्षों पुरानी शिकायतें, अपेक्षाएं,
सहयोग एवं संरक्षण की चाह उभर जाती है।
वह सारी आधुनिकताओं को अपनाना चाहती है।
और, उनका पूरा उपभोग करते हुए
स्वछंद वातावरण में जीना चाहती है।
पर, यह अपेक्षा करना नहीं भूलती है कि
यह समाज का कर्तव्य है कि
उन्हें हमेशा सम्मान तो-
लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा,
सावित्री, मरियम
या फातिमा जैसा ही मिलना चाहिये।
पुरुष समाज,
उस बदलाव की प्रक्रिया को समझे
और, अपने अहम को गलाते हुए
इसके साथ चलना सीखे।
शिक्षा संस्थान,
आज के जमाने की
रोज़गारपरक शिक्षा देने का उपक्रम करें
और, संस्कारवान, आत्मविश्वास से भरपूर,
जि़म्मेदार, देशभक्त समाज के प्रति
संवेदनशील एवं उद्यमशीलता से परिपूर्ण,
नौजवान तैयारकर समाज को देना सीखें।
सरकारें अपने आपको सर्वश्रेष्ठ एवं पर्याप्त न्याय,
सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था सुनिश्चित करें।
और, अधिक से अधिक आधारभूत विकास,
प्राथमिक शिक्षा एवं प्राथमिक स्वास्थ्य की
समान एवं पर्याप्त व्यवस्था देने तक सीमित करें।
बाकी,
सारा विकास एवं व्यवसाय का काम
समाज पर छोड़ना सीखें।
आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि
हम अपने-अपने युग धर्म को जानें।
और, उस पर चलना सीखें।
लेखक
डाॅक्टर अशोक कुमार गदिया
कुलाधिपति
मेवाड़ विश्वविद्यालय
चित्तौड़गढ़, राजस्थान